शुक्रवार, 8 जनवरी 2021

मिस्वाक (दातुन) के फायदे

मिस्वाक (दातुन) के बेशक़ीमती फायदे के बारे में जानिए👌 ✍ जावेद शाह खजराना (लेखक) दोस्तों आपने मस्जिदों के वुजू-खाने में नमाजियों को लकड़ी की ब्रशनुमा छड़ी चबाते हुए जरुर देखा होगा? दरअसल ये ब्रशनुमा लकड़ी रेगिस्तान में पैदा होने वाले पेड़ #पीलू या #मिस्वाक की टहनियां हैं। मिसवाक के पेड़ को हिंदुस्तान में #पीलू से बख़ूबी जानते है। ये एक झाड़ीनुमा दरख़्त है जो बहुत तेजी से फैलता है। पीलू के वृक्ष बहुत टेढ़े-मेढ़े होते हैं । उन पर पीलुओं के बड़े-बड़े गुच्छे फलों के रूप में लगते हैं । इन वृक्ष पर दिसम्बर मास में फुल आते हैं और मार्च मास में फल पक जाते हैं । #पीलू से जुड़ी कुछ #रोचक जानकारी आपके साथ #शेयर कर रहा हूँ। पसंद आए तो आप भी जरूर शेयर करना ताकि नई पीढ़ी भी #नबी की सुन्नतों से वाकिफ़ हो जाए। मिस्वाक के #पेड़ की सिर्फ टहनियां ही उपयोगी नहीं होती बल्कि इसके पत्तें, फल और छाल भी कई बीमारियों में काम आती है जैसे पीलू के पत्ते, #वातनाशक, मूत्रजन्य (पथरी) एवं #क्षीरजनन हैं, जड़ तथा छाल भी अनेक रोगों के लिए लाभकारी है । चोट अथवा जख्म पर पीलू की छाल को बांध देने से आराम मिलता है । #बुखार की हालत में जब रोगी बुखार से तड़प रहा हो तो पीलू के पत्तों का काढ़ा बनाकर उसे #तीन-तीन घंटों के पश्चात् पिलाते रहें । बुखार जल्दी उतरेगा । #बवासीर के मरीजों के लिए #पीलू का रस बहुत ही #गुणकारी माना गया है क्योंकि यह रस मीठा होता है । लोग इसे बहुत खुश होकर पीते हैं । #बवासीर रोगियों को दिन में तीन बार इस रस का सेवन करना चाहिए । इसकी टहनियों की #दातून इस्लामी संस्कृति में बहुत मशहूर और आम चलन में है। मिस्वाक की लकड़ी में नमक और खास क़िस्म का #रेजिन पाया है जो दातों में चमक पैदा करता है। मिसवाक करने से जब इस की एक तह #दातों पर जम जाती है तो कीड़े आदि से दाँत मेहफ़ूज़ रहतें हैं। इस प्रकार #चिकित्सकीय नज़रिये से भी मिस्वाक दांतों के लिए बहुत फायदेमंद है। क़रीब 7 हजार साल से मिस्वाक का इस्तेमाल हो रहा है।प्यारे नबी हजरत #मोहम्मद सल्लाहु अलैय वस्सलम भी मिसवाक का इस्तेमाल हमेशा करते थे। इसी वजह से मिसवाक करना सुन्नत भी है। मिसवाक करने से दाँत तो मजबूत होते ही है साथ में पेट से सम्बंधित बीमारी भी दूर होती है। इसके आलावा मिस्वाक के इस्तेमाल से मुँह से ताजी हवा लिए खुश्बू के झोंके भी निकलते है। मिस्वाक एक बेहतरीन माउथ फ्रेशनर है जो मुँह की बदबू को दूर भगाता है। यही वजह है कि हर नमाज में वुजू से पहले मिसवाक करते है। मिस्वाक के इस्तेमाल करने से मुँह में दांत की सड़न कम करने वाली लार बनती है । जो दांतो को सड़ने से बचाती है। इसके साथ मिस्‍वाक इनामेल को मजबूत करने में मदद करता है, ज‍िससे दांत सफेद रहते हैं। हिंदुस्तान में टिहू के पेड़ के अलावा #नीम , #आम और #बबूल के पेड़ की टहनियों से भी #दातुन बनाते है। लेकिन सिर्फ़ मिसवाक और नीम ही ऐसे गिने चुने पेड़ है जिनकी दातुन सालभर इस्तेमाल कर सकते है। बबूल और आम की दातुन #मौसम के हिसाब से इस्तेमाल करते है। आपने मस्जिदों के वजुखाने में खुली पड़ी मिस्वाक देखी होगी। हमें किसी दूसरे की झूठी मिसवाक इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। मिसवाक पुरानी होने पर उसे काटकर धूप में सुखाकर फिर इस्तेमाल कर सकते है। कोशिश करें कि मिसवाक को खुले में ना रखे । उसे प्लास्टिक के एक छोटे डिब्बे में रखे। #कब्रस्तान और मस्जिद के सहन में टिहू यानि मिसवाक का पेड़ जरूर लगाएं।। समय- समय पर उसकी कांटछांट करके दातुन बनाते रहे। ताकि झाड़ियां भी ना फैले और #मुस्लिम कौम को आसानी से मुफ़्त में ताजा-तरीन मिस्वाक (दातुन) मिल सके। #जावेद_शाह_खजराना

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