मंगलवार, 23 मार्च 2021

छोरा 'खान' किनारे वाला

*छोरा 'खान' किनारे वाला*🚣🏻‍♂️🚣🏻‍♂️
✍ *जावेद शाह खजराना ( लेखक)*

*खान नदी* 💐💐💐
हमारा इंदौर शहर खान नदी के किनारे बसा है। अब हम इसे नदी नहीं बोल सकते क्योंकि इसके किनारे बसे लोगों ने ही अपनी सारी गंदगी इसमें उंडेलकर 'स्वच्छ' खान नदी को गंदा नाला बना दिया है।😢

इंदौर शहर का शायद ही कोई पुराना नागरिक (मुसलमान) हो जिसने अपने जीवन का बहुत-कुछ हिस्सा खान नाले किनारे ना बिताया हो। 😅
 एक वक्त जुनीइन्दौर में खान, चंद्रभागा ओर सरस्वती नदियाँ कलकल करते हुए बहती थी। जो अब सड़ा हुआ बदबूदार नाला बन चुकी हैं। 😢

चन्द्रभागा नदी का आकार चाँद जैसा है इसलिए इसे चन्द्रभागा नदी कहते है इसके किनारे आज भी चन्द्रभागा मोहल्ला (जुनीइन्दौर) आबाद है। 

खान नदी तो पत्थरों की खानों से निकली नालियों से बनी है। जो रेसीडेंसी , आज़ाद नगर , छावनी , हाथीपाले , चम्पाबाग से निकलकर बड़ा रावला , साऊथ ओर नार्थ तोड़े से आगे बढ़कर कृष्णपुरा पहुँचती है। ये ही असली खान नदी है।
दरअसल खान नदी 3 नदियों का संगम है जो चारों तरफ से आकर कृष्णपुरा छतरियों के यहाँ मिलती है। 

 तीसरी नदी सरस्वती है जो पिपलिया पाला , माणिक बाग,  लालबाग , बारामत्था , छत्रीपुरा , कढ़ावघाट , हरसिद्धि , भाट मोहल्ले होते हुए तोड़े के पीछे से आगे बढ़कर कृष्णपुरा पर मिल जाती है।

चन्द्रभागा भी लालबाग के पीछे से जबरन कॉलोनी ,देवश्री रेलवे क्रॉसिंग होकर कटकट पूरा , कलालकुई , आलापुरा होते हुए चंद्रभागा नदी (अब नाला ) खान नदी में मिल जाती है।
 खान नदी कृष्णपुरा से होते हुए सांवेर पहुँचती है।
बाद में इसका भी संगम क्षिप्रा में हो जाता है।

बिलावली के पीपलियापाला तालाब से निकली खान नदी 50 किमी का सफर तय कर शिप्रा में मिलती है।
नदी का आधा सफर 25 किमी का हिस्सा शहर के बीच से होकर ही गुजरता है। व्यवस्थित सिवेज प्लान नहीं होने के कारण सालों से शहर भर की गंदगी इसी में डाली जा रही है। 

खजराना निवासी जावेद शाह कहते हैं मेरे पूर्वज तहसन शाह 300 बरस पहले खान नदी के किनारे रहते थे ।
कलालकुई भी चन्द्रभागा नदी (नाले) किनारे बसा है , जहाँ मेरा जन्म हुआ,  इसी के साए में हम बड़े हुए। 
फर्क सिर्फ इतना है कि पुराने लोग नदी पर गर्व करते थे और हमें शर्म आती है।
क्योंकि नदी अब नाला है देखने वालों को हम नदी किनारे वाले कम *नाले किनारे वाले* ज्यादा नजर आते हैं।

चाहे कुछ भी हो आखिर हम *छोरे 'खान' किनारे वाले* ही कहलाएंगे। ❤️

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